आज ही के दिन स्वीकारा गया था भारत का गौरवशाली तिरंगा
भारत देश का मान और उसकी पहचान बनाने वाले तिरंगे को 22 जुलाई आज ही के दिन स्वीकारा गया था।

भारत देश का मान और उसकी पहचान बनाने वाले तिरंगे को 22 जुलाई आज ही के दिन स्वीकारा गया था। ये वर्ष 1947 का था यानी आजादी से ठीक एक माह पहले। जब भारत में ब्रिटिशयन का साशन था उस वक़्त सामान्य तौर के झंडे देश के अलग-अलग राज्यों के शासकों की तरफ से प्रयोग किए जा रहे थे। लेकिन जब वर्ष 1857 की क्रांति आई तो इस वक़्त विचार किया गया की सामान्य तौर पर एक झंडा होना चाहिए।
पिंगली वेंकैया ब्रिटिश इंडियन आर्मी में नौकरी कर रहे थे उस दौरान उनकी मुलाकात दक्षिण अफ्रीका में गाँधी जी हुई। इस मुलकात के दौरान वेंकैया ने बापू के साथ अलग राष्ट्रध्वज की बात कही बापू को पिंगली वेंकैया का यह विचार बहुत पसंद आया बापू ने लगे हाथ वेंकैया को राष्ट्रध्वज की डिज़ाइन करने का कार्य सौंप दिया। इसके बाद पिंगली वेंकैया भारत वापस लौट आए पांच सालों तक राष्ट्रध्वज की डिज़ाइन के ऊपर शोध किया। शोध के दौरान वेंकैया ने लगभग 30 देशों के राष्ट्रीय ध्वजों पर शोध किया। इसके बाद साल 1921 में राष्ट्रीयध्वज को रूप देकर कांग्रेस सम्मेलन में उन्होंने अपना डिज़ाइन पेश किया। एस.बी.बोमान और उमर सोमानी ने मिलकर झंडे का गठन किया।
जब झंडा बनकर तैयार हुआ तो झंडे में उस वक़्त केवल दो रंग सम्मिलित किए गए थे हरा मुसलमानों के लिए और केसरिया हिन्दुओं का। इसके बाद भारत में अन्य धर्म के लोग भारत से जुड़ते गए जिसपर गांधी जी ने सलाह दी इसमें सफ़ेद रंग भी जोड़ दो जिससे गांधीजी को इसमें संपूर्ण राष्ट्र की एकता की झलक नहीं दिखाई दी और फिर ध्वज में रंग को लेकर काफी विचार-विमर्श होने शुरू हो गए। अंततः साल 1931 में कराची कांग्रेस कमिटी की बैठक में उन्होंने ऐसा ध्वज पेश किया जिसमें बीच में अशोक चक्र के साथ केसरिया, सफेद और हरे रंग का इस्तेमाल किया गया।
"सभी राष्ट्रों के लिए एक ध्वज होना अनिवार्य है। लाखों लोगों ने इस पर अपनी जान न्यौछावर की है। यह एक प्रकार की पूजा है, जिसे नष्ट करना पाप होगा। ध्वज एक आदर्श का प्रतिनिधित्व करता है। यूनियन जैक अंग्रेजों के मन में भावनाएं जगाता है जिसकी शक्ति को मापना कठिन है। अमेरिकी नागरिकों के लिए ध्वज पर बने सितारे और पट्टियों का अर्थ उनकी दुनिया है। इस्लाम धर्म में सितारे और अर्ध चन्द्र का होना सर्वोत्तम वीरता का आहवान करता है।"
"हमारे लिए यह अनिवार्य होगा कि हम भारतीय मुस्लिम, ईसाई, ज्यूस, पारसी और अन्य सभी, जिनके लिए भारत एक घर है, एक ही ध्वज को मान्यता दें और इसके लिए मर मिटें।"
- महात्मा गांधी