युवाओं को दिखा रहा है स्वरोजगार राह जसवीर के कैफ़े का मंडुवे से बने पिज्जा और बर्गर
उत्तराखंड के जसवीर की जिसने फ़ास्ट फ़ूड की परिभाषा को बदल कर एक सेहतमंद फ़ूड में बदल दिया।

"कुछ करने का अगर है हौसला तो कामयाबी शिखर जरूर चूमती है" ये कामयाबी की कहानी है उत्तराखंड के जसवीर की जिसने फ़ास्ट फ़ूड की परिभाषा को बदल कर एक सेहतमंद फ़ूड में बदल दिया। अगर आप भी डोमिनोज़ और पिज़्ज़ा हट का पिज़्ज़ा खाने के शौक़ीन है तो एक बार न्यू गांव के जसवीर सिंह असवाल का पिज़्ज़ा जरूर खाएं यह सिर्फ पिज़्ज़ा ही हर फ़ास्ट फ़ूड को बेहतरीन और सेहतमंद बनाकर अपने लिए रोजगार की राह तैयार कर ली। बता दे जसवीर सिंह के कैफे में मंडुवे से बने पिज्जा और बर्गर लोगों को खूब पसंद आ रहे हैं। वहीं, जसवीर के इस स्टार्टअप ने कई और युवाओं को स्वरोजगार की राह दिखाई है। उन्होंने अपने कैफे में सात और युवाओं को रोजगार भी दिया है।
डीएम ने की मदद
विकासखंड डुंडा की गाजणा पट्टी के न्यू गांव निवासी जसवीर 28 वर्षीय है और 2018 में स्वरोजगार की दिशा में कदम बढ़ाकर कैफे की शुरूआत की थी। लेकिन यहां तक का सफर उनके लिए आसान नहीं था। दून के डीएवी कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई करने वाले जसवीर बताते हैं कि कॉलेज के साथ उन्होंने दून में ही 30 से 40 रेस्टोरेंट व होटलों में वेटर का काम किया।मौका मिलने पर बेकरी आदि का काम सीखा। एमएससी की पढ़ाई के दौरान उन्हें खुद का व्यवसाय शुरू करने सोचा लेकिन पैसे को कमी के चलते व्यवसाय करना उनको मुश्किल लगा। तब इस व्यवसाय शुरू करने के लिए डीएम आशीष चौहान ने उन्हें ऋण दिलाने में मदद की।
मैदा के बजाय मंडुवे से बनाया पिज़्ज़ा
बैंक से आठ लाख रुपये ऋण लेकर उन्होंने कैफे शुरू किया। सेहत के लिए मैदा को अच्छा नहीं माना जाता। इसी बात में जसवीर को रोजगार का आइडिया नजर आया। उन्होंने मैदा के बजाय मंडुवे से पिज्जा और बर्गर जैसे फास्ट फूड बनाने शुरू किए। वहीं, रविवार के दिन उनके कैफे में शहद के साथ मंडुवे की रोटी परोसी जाती है, जिसे लोग शौक से खाते हैं।
होती है अच्छी कमाई
जसवीर के कैफे में सात और युवक काम करते हैं। जसवीर का कहना है कि उनके कैफे में नौकर-मालिक की भावना नहीं है। सभी कैफे की ड्रेस में रहते हैं। इन युवाओं को कुल आमदनी में से पूरी हिस्सेदारी दी जाती है। कैफे में जब मर्जी आओ, जब मर्जी जाओ के साथ काम करने की पूरी आजादी है। बताया कि प्रतिमाह 90 हजार रुपये की आमदनी के साथ सालाना 10.80 लाख रुपये तक कमाई हो जाती है।
कोविड में होम डिलीवरी ने संभाला
जसवीर का कैफ़े पूरे शहर में होम डिलीवरी सुविधा देता है। जसवीर बताते हैं कि पिछले साल लॉकडाउन से काम पर फर्क पड़ा था। लेकिन फिर होम डिलीवरी पर फोकस करने से काफी मदद मिली। बताया कि वह शहर के साथ गंगोरी, नेताला, तेखला व मातली तक होम डिलीवरी करते हैं।